V.S Awasthi

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दिल का दर्द




दिल का दर्द
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मुझको तुमने पढ़ा नहीं मैं तो एक गीत पुराना हूँ ।
अरमानों से भरा हुआ मैं सुन्दर एक तराना हूँ  ।।
दर्द भरा एक गीत हूँ मै घावों ने मुझको झकड़ा है।
इतने तीर लगे दिल में दर्द ने उनको पकड़ा है।।
जिस जिससे मैंने प्यार किया ये उसी ने तीर चलाये हैं।
जिसकी यादों में तड़पा हूँ वो अपने हुए पराये हैं।।
अरमानों को घायल कर ये तीर भरे हैं सीने में।
घायल कर के फिर छोड़ दिया अब नहीं बचा कुछ जीने में।।
ये वफा की कीमत मिली मुझे मुझको तनहा अब कर डाला।
अहसानों को भूल गए वफ़ा का मूल्य चुका डाला।।
मैं पथिक तुम्हें बतलाता हूँ विस्वास सभी पर मत करना।
पथ पर चलते रहो मगर पर नजर सदा तीखी रखना।।
विस्वास सभी पर करने से एक पल की खुशियां मिलती हैं।
विस्वास अगर फिर टूट गया तो तीर सी दिल में चुभती हैं।।
रचयिता:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक

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7 Comments

Muskan khan

23-Aug-2022 03:18 AM

👌👌

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Pankaj Pandey

22-Aug-2022 11:41 AM

Bahut khub 👌

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